23 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के DMK नेता और राज्य सरकार के मंत्री वी सेंथिल बालाजी से मंत्री पद या आजादी में से किसी एक चीज को चुन लेने के लिए कहा है। दरअसल, वी सेंथिल के खिलाफ कोर्ट में फिलहाल मनी लॉन्ड्रिंग का केस चल रहा है। जस्टिस अभय एस ओका और ओगस्तीन जॉर्ज मसीह ने वी सेंथिल को लेकर ये फैसला सुनाया क्योंकि कैबिनेट मंत्री कैश-फॉर-जॉब स्कैम में फिलहाल बेल पर बाहर थे। कोर्ट ने इस मामले में कहा, ‘इस मामले में बहुत चांसेज हैं कि आप गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। आपको मिनिस्टर के पद या आजादी में से किसी एक चीज का चयन करना ही होगा। आप क्या चुनना चाहते हैं, हमें बताएं।’ इसी के साथ कोर्ट ने कहा कि अगर बालाजी मंत्री पद नहीं छोड़ते हैं तो उनकी जमानत रद्द की जा सकती है। किसान परिवार में जन्मे थे बालाजी वी सेंथिल बालाजी का जन्म 21 अक्टूबर 1975 को तमिलनाडु के करूर जिले के रामेश्वरपट्टी में हुआ। रामेश्वरपट्टी के ही सरकारी स्कूल से उन्होंने शुरुआती शिक्षा ली। इसके बाद पसुपथीपलयम के विवेकानंद स्कूल और करूर के मुनिसिपल हायर सेकेंडरी स्कूल से आगे की पढ़ाई की। साल 2000 में 21 साल की उम्र में बालाजी ने राजनीति में कदम रखा। इसके बाद साल 2006 से 2021 तक वो लगातार जनरल इलेकक्शंस में जीतते आएं हैं। उन्होंने 2006, 2011, 2016, 2019 और 2021 में हुए चुनावों में जीत दर्ज की। बालाजी आज तक कोई चुनाव नहीं हारे हैं। जयललिला के बाद सरकार बचाने में अहम भूमिका रही वी सेंथिल बालाजी ने 1997 में लोकल बॉडी के मेंबर के तौर पर करियर की शुरुआत की। करूर से जनरल इलेक्शन जीतने के बाद 2011 से 2015 तक वो ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर रहे। 2016 में जयललिता की मृत्यु के बाद बालाजी ने पार्टी की सरकार बचाने में अहम भूमिका निभाई। जब AIADMK टूट रही थीं, उस समय बालाजी टी.टी.वी धिनाकरण के साथ खड़े रहे। 14 सितंबर 2018 को बालाजी ने पार्टी अध्यक्ष एम के स्टालिन की मौजूदगी में DMK जॉइन कर ली। पार्टी जॉइन करते ही बालाजी को डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटरी बना दिया गया। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के चलते बालाजी को या तो अपना पद छोड़ना होगा या कोर्ट उनकी बेल रद्द कर सकता है। ऐसी ही और खबरें पढ़ें… माता-पिता ने बोझ समझ रेलवे स्टेशन पर छोड़ा: 25 साल बाद बनीं अफसर; ब्लाइंड बेटी एमपी की रेवेन्यू ऑफिसर बनी ‘हौंसले भी किसी हकीम से कम नहीं होते, हर तकलीफ में ताकत की दवा देते हैं’ जावेद अख्तर साहब की ये पंक्तियां महाराष्ट्र की माला पापलकर के जीवन और उनके बुलंद हौंसले पर फिट बैठती हैं। पूरी खबर पढ़ें…
